मेरठ। लॉकडाउन में मेरठ के ट्रांसफार्मर उद्योग का फ्यूज उड़ गया है। दर्जनभर इकाइयों के सामने वजूद का संकट गहरा गया है। पिछले डेढ़ साल से इन उद्योगों का भुगतान अटका पड़ा है। रही-सही कसर कोरोना के ग्रहण ने पूरी कर दी है। ऐसे हालात ने उद्यमियों को मुश्किल में डाल दिया है। उन्होंने जीएसटी वसूली के लिए समय दिए जाने की मांग की है।
यहां से बांग्लादेश, सिंगापुर, इंडोनेशिया व पड़ोसी देशों को ट्रांसफार्मर निर्यात किए जाते हैं। पश्चिमी उप्र में करीब 70 और मेरठ में डेढ़ दर्जन ट्रांसफार्मर इकाइयां हैं। पावर कारपोरेशन के ट्रांसफार्मर की रिपेयरिग से इन उद्योगों को भारी कमाई होती है। अब सरकार ने अपने मेंटीनेंस सेंटर खोल लिए हैं। ऐसे में ट्रांसफार्मर इकाइयों काम तो बंद हुआ ही पुराना भुगतान भी अटक गया। उद्यमी कहते हैं कि नकदी का संकट गहराता जा रहा है। आइआइए के मंडलीय अध्यक्ष एवं कारोबारी अतुल भूषण गुप्ता कहते हैं कि ट्रांसफार्मर में 150 से ज्यादा प्रकार के कंपोनेंट लगते हैं। इन्हें अलग-अलग स्थानों से मंगाना पड़ता है। लॉकडाउन की वजह से कच्चा माल भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में अनुमति लेकर भी इंडस्ट्री नहीं चलाई जा सकती। श्रमिकों का संकट भी बढ़ेगा। उद्यमियों को अंदेशा है कि संक्रमण की वजह से महीनों तक श्रमिक काम पर आने सेकतराएंगे।
राहत पैकेज की दरकार
उद्यमियों का कहना है कि ट्रांसफार्मर इंडस्ट्री लंबे समय से संघर्ष कर रही है। कापर, एल्यूमीनियम एवं आयल समेत कई अन्य चीज बाहर से खरीदनी पड़ती हैं। इनकी खरीद भी मुश्किल होती जा रही है। जीएसटी लागू होने के बाद इकाइयों के सामने वजूद का संकट था। इसे कई बार काउंसिल के साथ वार्ता कर सुलझाया जा सका। उद्यमियों ने प्रदेश से केंद्र सरकार तक ज्ञापन देकर पावर कारपोरेशन के ट्रांसफार्मरों के मेंटीनेंस का काम मांगा, किंतु गोलमोल जवाब मिला। अब कई उद्यमी दूसरे उद्योग पर फोकस कर रहे हैं।
आरबीआइ ने दी राहत
लॉकडाउन के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों को उद्योगों के प्रति नरम रवैया अपनाते हुए आसान लोन देने के लिए कहा है। पीएफ में थोड़ी सी राहत मिली है। हालांकि उद्यमी इसे नाकाफी मानते हैं। उनका तर्क है कि इकाइयों के बंद होने के बावजूद बिजली का बिल दिया जा रहा है। कम से कम दो माह तक बिना इनकम इंडस्ट्री कर्मचारियों को वेतन भी देगी।
क्या कहते है यें
लॉकडाउन के बाद इंडस्ट्री के आगे अंधेरा होगा। 150 प्रकार के कंपोनेंट लाने के लिए पूरे देश के तमाम बाजार खुलने का इंतजार करना होगा। डेढ़ साल से पुराने कामों का भुगतान नहीं मिला है। अप्रैल तक कर्मचारियों को बिना काम वेतन देना होगा। यह बड़े संकट का दौर है।
अतुल भूषण गुप्ता, पावरटेक इलेक्ट्रिकल
केंद्र एवं राज्य सरकारों ने अब तक उद्योगों को खास तवज्जो नहीं दी। लॉकडाउन के बाद मैन्यूफैक्चरिग एवं सर्विस सेक्टर को बढ़ाकर सरकार को बाजार में नकदी भी बढ़ानी होगी। बिना राहत पैकेज देश में ट्रांसफार्मर इंडस्ट्री को गति में लाना बेहद मुश्किल होगा।
पंकज गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आइआइए
महामारी के आतंक से श्रमिक भी डरे हुए हैं। वे आसानी से काम पर वापसी नहीं करेंगे। कोरोना मुक्त होने के बाद स्थिति सामान्य होने में तीन माह लगेंगे। वित्तीय वर्ष की सेहत बिगड़ गई। जीएसटी जमा करने के लिए वक्त मिलना चाहिए। सरकार पुराने बकाया का भुगतान करे।
सौरभ सिंह, फ्लोरल